Tuesday, March 4, 2008
मगही भाषा हे या बोली?
मगही भाषा हे या बोली? एकरा बहस कइल जा सक हे। लेकिन अगर मैथिली और भोजपुरी भाषा के सम्मान पा सक हे तो फिर मगही से भेदभाव काहे? पटना, गया, जहानाबाद, मसौढ़ी, फतुहा, नालंदा, नवादा, मुंगेर, बेगुसराय, हजारीबाग, गिरीडीह, औरंगाबाद, डालटेनगंज, गढ़वा, बोकारो, सिंहभूमि, झरिया आदि कम से कम १७ जिला में मगही भाषा के प्रसार हे। ई संख्या अधिक भी हो सक हे। ओइसे एतना भी कम न हे। लेकिन मगही केकवि साहित्कार सबकेअभियान राजनीतिक समर्थन न मिले के कारण परिणाम देवेवाला आंदोलन न बन सकल। यूनिवर्सिटी में कोर्स लगला के बाद भी पढाई के व्यवस्था न हे। मगही अकादमी मरनासन्न हे। साहित्त अकादमी में मैथिली के पुरस्कार हे पर मगही पर कोई धेयान न देल गेल। तुलनात्मक तौर पर मगही के इतिहास मैथिली और भोजपुरी दोनों से पुराना हे। जैन धरम के तीर्थंकर महावीर भी अपन उपदेश अर्ध मागधी में देलन हल। गौतम के उपदेश भी मगध के जनभाषा मागधी में हल जेकरा बाद में पाली में लिपिबद्ध कइल गेल। एकर वर्तमान स्वरूप केझलक सिद्ध सरहपाद के रचना से देखल जा सक हे। अब जबकि बिहार के मुखमंत्री भी मगही भाषी हथन तब भी ओही स्थिति हे।
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